मिठाई का लालची – Moral Story for Kids
मिठाई का लालची
रतन को मिठाईयाँ खाना बहुत पसंद था।
जब भी माँ या पिताजी घर में कोई भी मिठाई लेकर आते तो रतन का मन करता कि सारी की सारी मिठाई उसे ही खाने को मिल जाए।
लेकिन माता पिता उसे समझा कर थोड़ा ही खाने को देते। मगर रतन का दिल नहीं मानता था।
दिवाली के दिन रतन के घर बहुत से रिश्तेदार और दोस्त मिठाई ले कर आए। बस अब क्या था, रतन का मन हर पल उन मिठाई के डिब्बो की तरफ लगा रहा कि कब मौका मिले और वो मिठाई खा सके।
कुछ देर बाद माँ और पिताजी अपने रिश्तेदारों से मिलने और दिवाली की बधाई देने चले गए और रतन अकेला ही घर पर रह गया।
बस फिर क्या था, रतन को मौका मिल गया और उसने सब डब्बे खोल कर खूब दिल भर के मिठाइयाँ खाई। इतनी ज्यादा मिठाई खाने से उसके पेट में दर्द होने लगा और वो छटपटाने लगा।
माता और पिता जब घर पहुंचे तो रतन को दर्द से करहाते हुए देख उनकी समझ में आ गया कि उसने ज्यादा ही मिठाई खा ली है।
उसे दवा दी गयी और कुछ देर बाद उसका पेट दर्द शांत हो गया। तब उसके माता पिता ने उसे समझाया कि मिठाई का लालच उसे कैसे महँगा पड़ा।
हमे क्या शिक्षा मिलती है – लालच करना बुरी बात है।
(Greed is bad)
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